1.
मुझे अपने गाँव, उत्तराखण्ड की संस्कृति और हमारे उत्तराखण्ड की संस्कृति से बहुत प्यार हैं। गाँव की बात ही कुछ और है। जब कभी भी गाँव की याद आती हैं तो सबसे पहले मझे जो चीज ध्यान आती है वो है गाँव के पहाड़ के सुंदर रास्ते जिन पर चल के गाँव पहुंचता हुँ और गाँव की हवा की सुंदर सुगंध जो चीड़, खढ़िक, अखरोट, देवदार और बाँज के पेड़ों आती वो ठंडी ठंडी हवा जो मेरे शरीर की अन्तर आत्मा को बहुत सुखद एहसास दिलाती है और दुसरी बात जो सबसे ज्यादा पसंद है वो है गाँव सीढ़ीनूमा खेत और उनमे लहलाती मुंडवा, सट्टी और पहाड़ी दालों की फसलें जिन्हे देखके सुंदर एहसास प्राप्त होता है की गाँव में अब सुंदर पहाड़ी पकवान खाने को प्राप्त होंगे जो इन फसलों से ही बनते हैं। और सबसे अधिक सुंदर एहसास तो मुझे अपने गाँव के प्यारे प्यारे घरों देखकर होता है जो पहाड़ी शैली से बने होते हैं प्त्थरों व मिट्टी से और जिनमे घर के आगे एक बड़ा या छोटा #चोक-च्ववा होता जिन पर गाय, भैंस, बकरी बंधे होते है और उनके गोशाला जो होती है उसे हम #उबराकहते है और ठिक उसके ऊपर घर के लोगों के कमरे होते हैं और गाँव के घरों मे खिड़की दरवाजों में जो नक्कासी की होती है उससे घर और सुंदर दिखता हैं जिनमे रहने का आन्नद ही कुछ और है यह घर ठंडे भी बहुत होते हैं। और गाँव व घर के बड़े बुजुर्गों से मिलना उनका आशीर्वाद लेना और उनका हाल चाल पुछना बहुत सुंदर लगता हैं। गाँव में गाँव के खेल खेलना दोस्तों के साथ बैठना और खुब बाते करना वो भी पहाड़ी भाषा गढ़वाली में जो की मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। गाँव का रहन सहन भी बहुत पसंद हैं और गाँव के #धारा से पीने के लिऐ स्वच्छ और ठंडा पानी लाना बहुत याद आता हैं। गाँव के यादे मेरे जीवन की सबसे अनमोल यादें हैं जिन्हे में भुल के भी नहीं भुल सकता और न कभी भुलना चाहुँगा।
2.
मुझे अपने गाँव से प्यार है आंखिर क्यूँ नहीं क्यूंकि यंही देखने को मिलता है प्यार जो हर व्यक्ति के दिल के अंदर एक दूजे के लिये है अपने से छोटों को प्यार करना और अपने से बड़ों का सम्मान करना यंही दिखता है। रिश्ते कैसे निभाये जाते हैं वो सिखाता है मेरापहाड़ गाँव। एक दूसरे का सुख-दुख में साथ कैसे दिया जाता है यह सिखाता है मेरा पहाड़ गाँव। मिल-जुलकर रहना दूसरे के काम में हाथ बाँटना यह सिखाता है मेरा पहाड़ गाँव। एक दूजे पर इतना विश्वास कि कोई अपने घरों में ताले तक नहीं लगाता यह दिखाता है मेरा पहाड़ गाँव। देवी-देवताओं का सम्मान यह आस्था का प्रतीक दिखाता है मेरा पहाड़ गाँव। सुख और शांति यह देता है मेरा पहाड़ गाँव। पर्व त्योहारों में लोक संस्कृति की झलक दिखाता है मेरा पहाड़ गाँव। स्वच्छ हवा, पानी देता है मेरा पहाड़ गाँव। प्रकृति की गोद में समायी हुई सुंदर रचना है मेरा पहाड़ गाँव इसलिये करता हूँ इतना प्यार।
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मुझे अपने गांव से प्यार है
क्योंकि
शुद्ध हवा वहां, शुद्ध पानी वहां
मेरी दादी-नानी वहां
चीड़ वहां, बुरांश वहां
सच्चे प्यार की मिठास वहां
कल-कल बहती नदियां वहां,
पहाड़ों से गिरते झरने वहां
काफल वहां, हिंसर वहां
गोशाला वहां, जंगल वहां
ताजगी वहां, सादगी वहां
कुदरत की मेहरबानी वहां
रहूँ मैं चाहे दूर कहीं अपने गांव से
मेरा ये दिल रहता हैं वहां।
जब गांव की बात आती है तो मुझे अपने गाँव की मिट्टी और मेरा ममतामयी माँ को सबसे पहले में प्रणाम करूँगा जो इस पावन धरती में मुझे जन्म मिला है जहाँ मेरे बुजुर्गो का आशीर्वाद हमेशा हमारे सर पर होता है। मेरा घर मेरा गांव इस लिए प्यारा है। माँ आज भी चूल्हे में रोटी बनाती है। और पहली रोटी गाय के नाम की और कौवे के नाम की होती है और आज भी हमारे घरो में चौके पे बैठ कर खाना खाया जाता है आज भी भट्ट की चुटकानी बनती है जहाँ सुबह रोज उठ कर कौवे को रोटी दी जाती है वही है मेरा गाँव मेरी माँ की छावं चलो चले उस राह पर जहाँ आज भी माँ राह देखती है मेरे अपने गाँव में।
मुझे मेरे गांव से इसलिए प्यार है क्योंकि वहाँ मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत वक्त ‘मेरा बचपन’ बीता, आज भी अगर दुनिया में कोई ऐसी जगह है, जहाँ जाकर मुझे सबसे अधिक शान्ति मिलती है तो वो मेरा गांव है. मुझे प्यार है उस आम के पेड़ से जिस पर आराम करना मेरा पसंदीदा काम था, वो बाँज का पेड़ जो मेरा झूला था, गाँव से आने के बाद होली के त्यौहार में भी वो बात नहीं रही, क्योंकि फिर कभी उन अपनों का साथ नहीं मिला, गाँव के उस सीधे और सरल जीवन से मुझे प्यार है ।
मैं अपना प्रेम हमारे बड़े भाई अरूण चमोली जी की कविता द्वारा सुनाना चाहता हूँ आशा है आपको पसन्द आयेगी
चमक रही है चेहरे पर बेजान सी खुशबू
समेट रही है आगोश में ये आसमान की खुशबू
शहर की सियासत में धुँधला सा हो गया हूँ
भूल सा गया मैं मेरे पहचान की खुशबू
जहाँ जाना जाता हूँ मैं मेरे पिता जी के नाम से
गाँव में कुछ अलग सी है मेरे खानदान की खुशबू
वो बात करने का लहजा मेरे बुजुरगौं का
उन्ही से सीखकर आया हूँ जुबान की खुशबू
बुलंद इमारतों के जहाँ-तहाँ ढा़चे तो हैं मगर
तरस जाता हूँ सूँघने को मिट्टी के मकान की खुशबू!
धन्यवाद
क्योंकि मैं रोजगार की तलाश में गाँव छोड़कर शहर आ गया हूँ अब मुझे गाँव की याद सताती है!!!
मुझे अपने गांव से प्यार है क्योंकि ये हमारी परम्परा संस्कृति व रीति रिवाजों का उद्गम है। यह वह स्थान है जो पूरी तरह प्रकृतिक व पवित्र है और यहाँ आकर शरीर और मन दोनों को स्वच्छ व शांत माहौल मिलता है।
जिस गाँव/कसबे में हम पैदा हुए थे..
वो जीवन बिताने के लिए बहुत छोटा लगता था..
आज जब बड़े शहर में रहते हुए फ़्लैश बैक में जाते हैं..
तो लगता है हम गलत थे..
ये सच है..
कि आप अपने गाँव/कसबे को जानते हो..समझते हो.
आप उस से प्यार करते हो..शायद नफरत भी..
लेकिन आप मन ही मन जानते हो कि
आपका गाँव..क़स्बा…भी आपको समझता है..
वो आपके extended परिवार की तरह होता है..
जिसकी परछाईं …हमेशा आपके साथ होती है…
शहरों में आप चाहे पूरी जिंदगी रह लो..
फिर भी आपको अपने बाहरी होने का अहसास बना रहता है..
मुझे अपने गाँव से प्यार है क्योंकि
मेरे लिए वह किसी जननत से कम नहीं,
क्योंकि उसकी गोद में खेलकर पला हूँ मैं,
उसके टेढ़े-मेढे रास्तों पर चला हूँ मैं।
क्योंकि मिठास है वहाँ लोगों की वाणी में,
अदभुत एहसास है वहाँ हवा और पानी में,
I love my village because for me its a paradise on earth, the feeling there can not be expressed in words, woh mitti ki khushboo, hawaao ki taazgi, logon ka pyaar their is a positive feeling which keeps our mind and soul pure#and the best thing is the culture and belief of the people in their god. I am really proud and thankful to god that I was born there and I just love my village!
Apne gaon ki mitti ki khushbu ko me apni sanso me mahsoos karta hoo vaha ki abo hawa mere tan man m basi h bachpan me gaon me bitaya samay kabhi bhulaya nahi ja sakega apke sawal me mujhe romanchit kar diya h kya jabab diya ja sakta h mujhe apne sharir me jhanjhanahat saaf saaf mahsoos ho rahi he sach me apki posto ko dekhne k baad kayi baar ankho m anshu hote h or dil gaon k liye tadaf jata h.
I love my village because it is the place where I enjoyed my childhood and learned religious values and my mother tongue, Garhwali is my favourite language and also the natural view of Uttarakhand k pahar and a great view of Himalayas. We respect the senior citizens and treat girl child as goddess Laxmi we don’t differ between a girl or a boy this is all reason why I love my village.