लेखक- सुमित सिंह
आजकल हर कोई शहर की भीड़-भाड़ से दूर एक ऐसी जगह पर जाना चाहता है जहाॅं वह जिंदगी के दो पल अपने परिवार के साथ हॅंसी-खुशी बीता सके। खासकर तब जब सूरज आपके सिर पर आ खड़ा हो और उस वक्त अगर कोई ऐसी जगह मिल जाए जहाॅं आपको पल भर के लिए सुकून मिले तो वो जगह किसी स्वर्ग से कम नही कहलाएगी। इसमेें कोई दो राय नही कि लैंसडाउन जैसी जगह पर जाकर आपको वो सब ना मिले जैसा आप चाहते हो।
लैंसडाउन का सफर अपने आप में ही रोमांच से भरपूर है खासकर गर्मियों के महीनों में जहाॅं दूसरी जहगों पर सूरज आग उगल रहा होता है और यहाॅं ठण्ड़ी शीतल हवा आपके गालों को छू रही होती है। एक के बाद एक घुमावदार आती सड़कें, सड़क किनारे लगे चीड़ के पेड़ और बादलों को छूती उनकी शाखाएं लगता है जैसेें जन्नत की राह पर निकल पडे़ हो। जैसे-जैसे लैंसडाउन से दूरियाॅं कम होती जाती हैं वैसे-वैसे कुछ नया देखने की चाह में दिल की धड़कने बढ़ती जाती है।
लैंसडाउन क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा हाने के कारण यहाॅं की सभी जगहों को पैदल ही घूमा जा सकता है। इस तरह प्रकृति को करीब से देखने और ताजी हवा में सांस लेना का भी मौका मिल जाता है। वहाॅं से कुछ ही मीटर की दूरी पर ‘‘भुल्ला ताल’’ झील स्थित है। पहाडों के बीच ऐसा नजारा देख किसी सपने जैसे लगता। झील में तैरती रंग बिरंगी छोटी-छोटी नावें लगता है जैसे किसी ने रंगों को पानी में घोल दिया हो। उनमें बैठ कर आनन्द लेते लोग और उनकी तस्वीरे खींचते उनके दोस्त यही क्रम लोग बार-बार दोहराते और अपनी यादों में एक और याद जोड़ते चले जाते हैं। झील में तैरती सफेद बतखें मोतियों के समान प्रतीत होती हैं। चारो तरफ से पहाडों से घिरा होने के कारण झील की लम्बाई ज्यादा नहीं है।
इस तरह आगे बढ़ते हुए कुछ ही कदमों पर ‘‘टिप-इन-टोप’’ तक पहुॅंच जाते है। ऊॅंचाई में होने कारण यह लैंसडाउन में सबसे लोकप्रिय जगहों मे से एक है। यहाॅं से देखने पर दूर-दूर तक सिर्फ पहाड़ ही पहाड़ दिखाई देते है और उन पहाड़ों में बसे गावों को देखने पर ऐसा लगता हैे ‘‘जैसे कोई हरी चूंनड़ ओड़ कर बैठा हो और छोटे-छोटे गाँव को बच्चों की तरह गोद मे लिए हो।’’ यहाॅं से हिमालय पर्वत की गगनचूंबी चोटियों को आराम से देखा जा सकता है। सड़कों पर दौड़ती गाड़ियाॅं भी खिलौनों की तरह दिखाई देती है। यह देख कर आश्चर्य होता है कि किस तरह से इन दुर्गम और पत्थरीलें पहाड़ों पर सड़कों का निमार्ण किया होगा। यहाॅं से नीचे की ओर दिखने पर एक गहरी खाई है जिसे देख कर दिल दहल सा जाता है। ऐसे मनोहर दृश्य को देखकर जी चाहता है कि इसी तरह यहाॅं बैठे रहे और इसी खुबसूरत नजारे को निहारते रहें। यहाॅं पर आने तक थकान जरूर लगती है पर ऐसा नजारा देखते ही सबकी थकान दूर हो जाती है। यह देखकर लगता है कि प्रकृति, भगवान का दिया सम्पूर्ण मानवजाति को एक ऐसा उपहार है जिसकी हम सभी को रक्षा और देखभाल करनी चाहिए। अगर इसी तरह हम अपने मामूली से स्वार्थ के लिए इन्हें तबाह करेंगे तो प्रकृति भी हमें उसी तरह तबाह कर देगी। जिसका परिणाम हम आजकल समाचारों में देख ही रहे हैं।
यहाॅं से कुछ ही कदमों की दूरी पर सेेंट मैरी चर्च है। जिसके अन्दर ही एक छोटा सा संग्रहालय है जिसे देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका निमार्ण कब किया होगा। चर्च में एक ‘‘विलिंग वैल’’ है। लोगों की ऐसी आस्था है कि अगर इसमें सिक्का गिरा कर मन्नत माॅंगी जाए तो वो जरूर पूरी होती है। चर्च बाहर से जितना खूबसूरत दिखाई देता है उतना ही अन्दर से भी खूबसूरत है। अंदर की बनावट को देखकर पता चलता है कि उस वक्त के काम में कितनी मजबूती थी जो सालों साल तक अभी तक टिका हुआ है।
अगर सीमित शब्दों में कहना हो तो यह कुछ पंक्तियाॅं है जो लैंसडाउन को आपसे रूबरू करवा सके।
लेखक- सुमित सिंह
Thank you Very much
Thankyou very much..!!
Article- awsome…
Photography- best
Thank you bro..!!
Nice bro …