Uttarakhand Stories

प्रभा देवी सेमवाल: जिन्होंने उगाए 500 से अधिक पेड़, आज है खुद का एक वन

by Manoj Bhandari
May 24, 2017

आज उनके द्वारा उगाये गए जंगल में पेड़ो की संख्या ५०० से अधिक है. जिसमे विभिन्न तरह के पेड़ है. जहां इमारती लकडियो से लेकर जानवरो को घास में देने वाले पेड़ों, रीठा, बाँझ, बुरांस, दालचीनी आदि सभी स्थानीय पेड़ो को लगाया गया है.

महिलाएं आज भी पहाड़ की जीवन रेखाएं है या यूँ कहिये की यहाँ की आर्थिकी उसी के इर्द गिर्द घुमती है, आज भी उसके सामने पहाड़ जैसी चुनौतियों का अम्बार लगा हुआ है जिसका वह बरसों से डटकर मुकबला कर रही है।

ऐसी ही एक महिला जिसके अथक प्रयासों ने बंजर भूमि को हरियाली में तब्दील कर हरा भरा जंगल खड़ा कर दिया, गौरतलब है की उत्तराखंड के लोगों का जल, जंगल और पर्यावरण से अटूट प्रेम सदियों से रहा है, यहाँ के आम लोगो की जिंदगी से जुड़े अधिकतर कार्य जंगलो से ही जुड़े हुए होते है. जंगल यहाँ की आवश्यकता भी है और रोजमर्रा के जीवन से जुडी एक प्रयोगशाला भी. पहाड़ी लोगो का प्रकृति प्रेम किसी से छुपा नहीं है, वह चाहे चिपको आंदोलन या मैती आंदोलन.

पर पहाड़ के जनमानस पर गर्व और होता है जब यहाँ के लोग बिना किसी स्वार्थ के जंगलो को बचाना अपना उद्देश्य समझने लगते है. ऐसे ही एक महिला है पसालत गाव जिल्ला रुद्रपयाग की श्रीमती प्रभा देवी सेमवाल अपने रोजमर्रा के जीवन में जंगल की उपयोगिता को समझते हुए जिन्होंने अपने दूर के खेतों में बरसों से पेड़ों को लगाकर आज एक जंगल उगा दिया.

Prabha devi semwal

प्रभा देवी द्वारा उगाया गया जंगल.

बहुत पहले जब ग्राम पंचायत के जंगल में अवैध कटाई और भूस्खलन से जंगल से रोजमर्रा की जिंदगी को मिलने वाले संसाधनो में कठिनाई आने लगी तो प्रभा देवी ने अपने कुछ खेतो के समूह में जंगल उगाना शुरू कर दिया. जहां उन्होंने पहले अपने जानवरो के लिए घास उगाई और फिर धीरे धीरे पेड़ो को उगाकर आज एक जंगल ही उगा दिया. आज उनके द्वारा उगाये गए जंगल में पेड़ो की संख्या ५०० से अधिक है. जिसमे विभिन्न तरह के पेड़ है. जहां इमारती लकडियो से लेकर जानवरो को घास में देने वाले पेड़ों, रीठा, बाँझ, बुरांस, दालचीनी आदि सभी स्थानीय पेड़ो को लगाया गया है. उनका कहना है कि “बचपन से वह लकड़ी और घास के लिए जाती रही है पर जीवन में कभी उन्होंने किसी छोटे पेड़ को जड़ से नहीं कटा”. उनका कहना है कि उनके द्वारा लगाये गए ज्यादातर पेड़ उग जाते है चाहे वह किसी भी परस्थिति में लगाये गए हो. आज उनके बेटे बेटिया देश विदेश में अपने कामो में लगे हैं पर उन्होंने कभी पहाड़ नहीं छोड़ा न देश विदेश में रह रहे अपने बेटे बेटियो के यहाँ गए.

६५ साल की उम्र में आज भी उनकी दिनचर्या अपने खेत, जानवरो और पेड़ो के ही इर्द गिर्द घूमती है. धन्यवाद मुझे दुःख है कि मैंने कभी उनके इस काम में उनका हाथ नहीं बांटा पर गर्व है कि वह मेरी सास है, मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है की पर्यावरण संरक्षण के लिए बृक्षारोपण को बढ़ावा दें और हर साल एक पेड़ जरुर लगाएं.

एक समारोह के दौरान प्रभा देवी सेमवाल.

सात समंदर पार से बहु का सास के पर्यावरण संरक्षण को समर्पित ये लेख. भोळ जब फिर रात खुलली… धरती मां नई पौध जमली. -रीना सेमवाल

This article was originally written by रीना सेमवाल and later shared by अतुल सेमवाल

Manoj Bhandari


3 Responses


Manoj Bhandari Says

We have mentioned the name of अतुल सेमवाल at the bottom of this article with fb link of his facebook ID. Click on it & you can message him for the same.

ASHISH BISHT Says

HOW CAN WE CONTACT THEM AND HER

GAURAV KHOLIA Says

Very inspiring story and proud on her work.